maati se bandhi dor written Update 18th November
maati se bandhi dor written Update 18th November
maati se bandhi dor written Update 18th November में वह कहती है कि तुम्हें थोड़ी बहुत अकल है या सब बेज बूझ के आ गई हो रशिया में और जब तुम आई थी शायद तुम्हारे सिर पे ना कुछ ज्यादा ही वजन था जिसके कारण तुम्हारा दिमाग काम नहीं करता वनराज ने मैं ने पूरे परिवार ने तुम्हें कितना ज्यादा कहा कि तुम उस तरफ मत जाओ तुम बार-बार फिर क्यों चली जाती हो फिर वो चिल्लाती हुई कहती कि वहां कोई चुंबक लगे हैं जो तुम्हें खींच के ले जाते हैं।
वहां फिर बा कहती है कि हमने कहा था कि वो लक्ष्मण रेखा है और तू उसे पार मत करना लेकिन तुम तो बार-बार वहीं चली जाती है पता नहीं तुम्हें वहां ऐसा क्या मिलता है वहां अकेली गई ही नहीं बल्कि उनके हाथों में हाथ डालकर साथ में चल रही थी और वो तो मेरे दुश्मन है वो मीनू कहती है कि वो हमारे दुश्मन नहीं है बा तो बा कहती है अनुपमा मेरी दुश्मनी है तुम नहीं जानती उसने मेरे पति को मुझसे दूर किया है अब वो टीटू को डिंपी को इनको भी मुझसे दूर कर देगी और साथ में तुमको भी।
फिर मीनू कहती है कि वो ऐसा कुछ भी नहीं कर रही आपको ये गलतफहमी है तो वो कहती है कि आप मुझे डांट लेना लेकिन पहले कम से कम पूछ तो लीजिए कि मैं गई क्यों थी आप बिना जाने ही मुझको डांटना स्टार्ट कर रहे हो तो तभी तशु कहता है कि अच्छा चलो फिर महोदय यह भी बता दीजिए कि आप क्यों गए थे इस पर भी रोशनी डाल दीजिए तो क्या बड़ी बात है बताओ बताओ क्यों गई थी तुम फिर मीनू बताना स्टार्ट करती है कैसे केजल और वो दोनों मंदिर में पूजा कर रही थी तभी वहां पर अनुज आ गया यह सब बताने के बाद मीनू कहती है कि और मैं सबसे पहले एक डॉक्टर हूं।
और डॉक्टर का सबसे पहला फर्ज है कि किसी भी मरीज का इलाज किया जाए और उस वक्त चाहे कोई दुश्मन भी होता तो मैं उसका इलाज तब भी करती और उसकी मदद करती और वैसे भी अनुज को ई हमारा दुश्मन तो है नहीं वह हम सबको जानता भी है तो मेरा तो फर्ज बनता था कि उनकी मदद करूं तभी वनराज कहता है कि अच्छा तुम अपनी डॉक्टरी की शपथ नहीं तोड़ सकती लेकिन पूरे परिवार का दिल तोड़ सकती हो हम सबका दिल दुखा भी सकती हो तो मीनू कहती है कि मामा आप ज्यादा ओवर रिएक्ट कर रहे हो इस बात पे।
फिर वो कहती है कि मैं तो मंदिर में पूजा करने गई थी मैं कोई उनसे स्पेशली मिलने तो गई नहीं अब वो खुद ही वहां पर आ गए तो इसमें तो भगवान की ही मर्जी है ना भगवान ने मुझे उनसे मिलाया अब मेरा तो फर्ज बनता था कि मैं डॉक्टर होने के नाते उनकी मदद करती तो मैंने इसमें क्या गलत किया आप ही बताओ तो लोग भी तो कहते हैं कि जो डॉक्टर है वो भी तो भगवान का ही रूप होता है तो मैं क्या एक मरीज की मदद भी ना करूं फिर वो वनराज से कहती है कि देखिए आप मीनू पर गुस्सा कर सकते हैं।
और मीनू आपकी बात भी मान सकती है लेकिन मीनाक्षी जो एक डॉक्टर है उसका सबसे पहला फर्ज है कि एक मरीज की मदद की जाए मैं उनकी मदद ही करने गई थी और इसमें भगवान का भी इशारा था अब भगवान खुद तो उतर के नीचे आएगा नहीं तो वो किसी ना किसी रूप में अपने ही किसी इंसान को कहता है कि तुम मेरी जगह पर मदद करो अब मैं उसकी मदद करने के लिए मान भी गई मैंने तो हमेशा अनुपमा को आप लोगों की मदद करते हुए देखा है जब मैं 6 साल पहले छोटी थी लेकिन मैं इतनी भी बच्ची नहीं थी कि मैं कुछ समझ ना पाऊं।