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Anupama written Update 18th November

Serialhindi.comBy Serialhindi.comNovember 18, 2024Updated:January 28, 2025No Comments6 Mins Read
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Anupama written Update 18th November

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Anupama written Update 18th November

फिर हम अगले सीन में देखते हैं कि मीनू ने सारी सच्चाई वनराज को बता दी और कह रही कि सब लोग चुप क्यों हैं कोई कोई कुछ बोल क्यों नहीं रहा लेकिन वनराज कुछ भी नहीं बोलता और बहुत गुस्से में शांति से उसकी बातें सुनता रहता है मीनू कहती है कि देखो मामू मैं स्ट्रांग हूं सब कुछ हूं लेकिन मैं एक लड़की हूं और मैं चार लड़कों के साथ नहीं लड़ सकती मैंने कोशिश की थी लेकिन किसी ने मेरी कोई मदद नहीं की जब कोई आगे नहीं आया तो सागर वहां आया और उसने मेरी मदद की और उसने जो शर्ट दी थी वो भी मुझे इसलिए दी थी क्योंकि इस हाथापाई में मेरी जो टॉप है वो फट गई थी और उसने अपनी शर्ट मुझे दे दी।

और आप समझ रहे हो यह सब कैसे हुआ और आप प्लीज मेरी बात समझिए और मुझे मुझसे कुछ ना कुछ बात जरूर कीजिए लेकिन वो कुछ भी नहीं बोलता फिर वो एकदम से गुस्से में उठता है और किसी को फोन मिलाता है तो मीनू बार-बार पूछ रही है कि आपने किसको फोन मिलाया लेकिन वो कुछ नहीं बोलता और फिर हम देखते हैं कि जो वनराज है वो अपनी बहन को फोन लगाकर कहता है कि देखो दीदी मैं जो पनू है उसे वापस भेज रहा हूं क्योंकि वो मेरी बात तो नहीं मानती तो मैं क्या कर सकता हूं अब जोब वो मेरी बात ही नहीं मानेगी तो मैं उसकी जिम्मेवारी कैसे ले लूं तो तभी मीनू एकदम से अपने मामा से फोन लेती है और कहती है कि आप मुझे इतनी बड़ी सजा मत दीजिए।

और अपनी मम्मी को फोन पर कहती है कि कुछ लड़की मेरी रैगिंग कर रहे थे और मैं उसके बारे में आपको बाद में एक्सप्लेन करूंगी और फोन कट कर देती है और अपने मामा से कहती कि आप को मैंने सब सच बता दिया और मैंने बता दिया कि मम्मी के पास में इसलिए गई थी क्योंकि जब भी मुझे कोई चोट लगती थी या तकलीफ होती है तो मैं सबसे पहले बचपन में भी मम्मी के पास ही जाती थी और सागर ने मेरी मदद की थी वो भी मैं एक बुरी कंडीशन में फस गई थी तो आप ऐसा क्यों कर रहे हैं और आप ऐसा मत कीजिए और वह बहुत गिड़गिड़ा है और उसके पैरों को पकड़ लेती है।

तभी वनराज गुस्सा होकर उस पर चिल्लाता है कि मनू ऐसे मत करो और फिर अगला सीन कट होकर जाता है आश्रम में फिर अगले सीन में हम देखते हैं कि अनुपमा और निधि एक जगह बैठे हुए जो उनको ऑर्डर मिले हैं खाने के वो ऑर्डर पैक कर रही थी और वह कहती है कि अनुपमा देखो तो वो कहते कि हमें ऑर्डर के लिए 11 बंदों की कॉल आई थी लेकिन पूरे ऑर्डर तो हमें चार ही मिले ऐसे कैसे काम चले का तो अ ममा कहती है कि हमें निराश नहीं होना और हमें हमेशा आशावादी रहना चाहिए ऐसा नहीं हो सकता और तुम हमेशा अच्छा ही सोचो क्योंकि फिर ही अच्छा होता है तो तभी वो कहती कि एक बात और जो हमारी इंद्र।

फिर वो फिर निधि कहती है कि देखो इंदिरा जी की जो कॉल आई थी और फिर वो कहती कि जो इंदिरा जी है वो उन्होंने जाने के बाद एक बार भी कॉल नहीं की और मैंने उनका फोन भी लगाया वो फोन भी बंद आ रहा है तो अनुपमा कहती है कि वो पोता पोती से काफी दिनों बाद मिली है शायद इसलिए बिजी होंगी और कोई बात नहीं उनका फोन आ जाएगा सब अच्छा ही होगा तभी निधि फिर फिर अनुपमा कहती है कि क्यों ना हम ऐसा करें कि हम जो बहुत सारे स्कूल या कॉलेज होते हैं उनकी कैंटीन वालों से बात करें और वहां से हमें ऑर्डर्स मिल जाए अगर हमें वहां से कोई कांट्रैक्ट मिल गया तो और हमारी गाड़ी एक दिन में निकल पड़ेगी।

और वह कहती है कि अगर मेरी टांग में चोट ना लगी होती तो मैं डांस की क्लासेस शुरू कर देती और डांस की क्लासेस से हमारा खर्चा अच्छा खासा निकल जाता तो नीद कहती है कोई बात नहीं स्कूल वाला आईडिया भी अच्छा है और वहां से भी हमारा काम बन सकता है और बहुत ज्यादा खुश हो जाती है और जब मीनू वनराज के पैरों में गिर जाती है और उनको कहती है कि मामा मुझे माफ कर दो तो वो नराज बहुत ज्यादा गुस्से हो जाता है और उसे पकड़कर खड़ी कर देता है और कहता है कि यह क्या कर रही हो मेरे सिर पर पाप चढ़ा रही हो जब तुम पैदा हुई थी तो मैंने तुम्हारे दोनों पैरों को अपने माथे पर लगाया था और आज तुम यह करके क्या कर रही हो और मैं तुम्हें पता भी है कितना प्यार करता हूं और मैं अपनी बहन को बहुत ज्यादा प्यार करता था और उसे गोद में खिलाया था।

अब तुम उसकी आके बेटी हो तो तुम मेरे लिए उससे भी ज्यादा इंपॉर्टेंट हो और मैं तुम्हारी बहुत ज्यादा केयर करता हूं और यह इसलिए नहीं कि तुम्हारे मां-बाप के पास इतना पैसा नहीं था कि वह तुम्हें बाहर भेजे मैं और मैंने तुम्हें इसलिए पढ़ाया क्योंकि मैं तुम्हें एक अपनी भांजी नहीं बेटी मानता हूं और बेटी से भी बढके और मेरी ये दोनों बेटे तो नालायक हैं दोनों के दोनों बच्चे जो मेरी कभी भी नहीं सुनते थे और मेरा जो समर बेटा था वह मेरी सुनता था और मेरा अच्छा बच्चा था लेकिन मैंने उसकी कभी नहीं सुनी और मैं नहीं चाहता।

कि तुम मेरे इन दोनों नालायक बच्चों के जैसे ही गलत फैसले लो और अपनी जिंदगी बर्बाद कर लो और जब तुम यहां आई थी तो मुझे लगा था कि मेरी मीनू मेरे घर आएगी और मेरी बात सुनेगी लेकिन तुम तो मेरी एक भी बात नहीं सुन रही और मैं सोच रहा था कि मेरी मीनू मेरी बेटी जब मेरे पास आएगी मेरा सिर गर्व से ऊंचा हो जाएगा और जैसे मेरे बच्चे मेरी बात नहीं सुनते थे तुम मेरी बात सुनोग और जो सुख इन्होंने कभी मुझे नहीं दिया वो सुख तुम मुझे दोगी लेकिन नहीं शायद मुझे लगता है कि मेरी किस्मत में ऐसा कुछ लिखा ही नहीं है अगला सिन कट होता है और सागर के ऊपर जाता है और सागर मीनू के बारे में सोच रहा था।

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