maati se bandhi dor written Update 12th November
maati se bandhi dor written Update 12th November
maati se bandhi dor written Update 12th November में अनुज कहता है कि अरे ये भी कोई पूछने की बात है तुम जब चाहे इसे मिलने आना तो सब लोग बहुत ज्यादा खुश हो जाते हैं और जैसे ही आद्या और माही गले मिलते हैं अनुपमा उनकी नजर उतारती है और भाभी और तभी केंजल कहती है कि देखो यह कितना खुश है इनके अंदर कोई खून का रिश्ता नहीं है लेकिन यह फिर भी बहुत ज्यादा खुश है और हमारा परिवार यहां खून का रिश्ता है लेकिन कोई प्यार नहीं है कोई वह नहीं कि किसी को किसी की कुछ नहीं पड़ी तो बा दुखी होते हुए सरह लाती है।
फिर अगले सीन में हम देखते हैं कि जो आश्रम के लोग हैं आशा भवन में एक पार्टी चल रही है और माही को एक स्पेशल चेयर पर बैठाया है सब लोग चारों तरफ बैठे हैं और तालियां बजा रहे हैं तो माही कहती कि यह पार्टी किसके लिए है और उसके बाद बाद अनुज माही से कहता है कि तुम वीआईपी नहीं बल्कि वी वी वी वीवी वीआईपी हो तो वह कहती है अच्छा मैं वीआईपी हूं तो आद्या कहती है कि माही अब तुम वीआईपी हो तो तुम ही डिसाइड करोगी कि कौन क्या करेगा और जो अनुपमा है वह कहती है कि देखो हमारे आशा भवन में एक रूल है कि जब भी कोई स्पेशल आता है।
तो हम उसके लिए पार्टी रखते हैं लेकिन जब अनुज आए थे तो वह बहुत बीमार थे और जब मेरी याद्या बेटी आई तब मैं हॉस्पिटल थी तो हम पार्टी नहीं कर पाए लेकिन आज तुम हो तो हम पूरी रात झूम नाचेंगे और पार्टी मनाएंगे तो सब लोग तालियां बजाने लग जाते हैं तभी जो माही है वो कहती है तो ठीक है तो सबसे पहले जो अनुज अंकल है वो डांस करेंगे और अनुज डांस परफॉर्म करने लग जाता है कि अखियों से गोली मारे वाले सॉन्ग के ऊपर तो वो बहुत ज्यादा बढ़िया डांस कर रहा है तभी उसके नाचते नाते उसको जॉइन कर लेता है बाला अब बाला और अनुज दोनों बहुत ही मस्ती में नाच गा रहे हैं।
और इनके जो गाने के साउंड्स है और नाचना गाना है उसका जो शोर शराबा है वो जो शाह फैमिली के घर प जा रहा है वहां पर जो बच्चे हैं वो कहते हैं माही आज कितनी खुश है वहां पर नाच रहे हैं गा रहे हैं और खुशी मना रहे हैं अगर हम भी वहां जा सकते तो कितना अच्छा होता लेकिन बड़े पापा हमसे नाराज हो जाएंगे तो हम नहीं जा सकते तभी वहां पर केंजल बा और टीटू तीनों खड़े हैं और जो केंजल है वह कहती है कि इनमें कोई खून का रिश्ता नहीं लेकिन यह फिर भी कितनी खुशियां मनाते हैं और खुश रहते हैं।
तभी वह कहती है कि मुझे तशु के साथ रहना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता अब उसका जो व्यवहार है वह मेरे को बिल्कुल भी नहीं बाता और मैं नहीं चाहती कि मैं उसके साथ भी रहूं तो यह सुनकर बा उदास हो जाती है और शॉक्ड है तभी वहां पर टीटू कहता है कि मैं भी डिंपी के साथ नहीं नहीं रहना चाहता और उसका व्यवहार भी कुछ अच्छा नहीं है और मेरा मन भी उसके न ही रहने का कर रहा है तो वोह बोलकर वहां से चले जाते हैं तो बा इनकी बातें सुनकर बहुत ही सदमे में आ जाती है तभी केंजल जब अपने रूम में जाती है तो तशु पहले से लंबी तान के सोया पड़ा है और वो उसको ऐसे देखकर अपने अकेलेपन के कारण रोना स्टार्ट कर देती है।
तभी टीटू जब अपने रूम में गया तो वह देखता है कि डिंपी सो चुकी है लेकिन उसके हाथ में मोबाइल है और व लगातार कंटिन्यू चल रहा है और वह भी उसके अकेलेपन के कारण दुखी हो जाता है तभी सीन क टोकर फिर से आश्रम में आता है जहां पर आशाव में फूल धूम धड़ाम से पार्टी की जा रही है और तभी अनुज जो और बाला काका बहुत ही मस्ती भरा डांस परफॉर्म कर रहे थे और तभी जो अनुज की नजर अनुपमा प जाती है तो अनुपमा उसको चुपके से आंख मार देती है तभी अनुज भी सबसे नजर बचाकर अनुपम्मा को आंख मारता है।
और जो दोनों हैं वह अपने फ्लैशबैक में चले जाते हैं जहां पर इसी गाने प वह पहले भी नाचे थे और बहुत ज्यादा एंजॉय किया था फिर इस धूम धड़के के साथ मस्ती मनाते हुए अगली सुबह हो जाती है फिर अगली सुबह हम देखते हैं अनुपमा और बाबूजी स्टॉल पर खड़े हैं और अनुपमा अपने दिनचर्य के हिसाब से सबके लिए खाना बना रही है तभी उसका एक कस्टमर आता है और कहता है कि मैंने आज भर पेट खाना खाया और खाना बहुत अच्छा था और मेरा आज का दिन बहुत अच्छा जाएगा अनुपमा उससे थैंक यू बोलती है तभी बाबू जी कहते हैं कि माही रात अच्छे से सोई ना बेटा और सब सही था।
तो अनुपमा कहती कि हां तो बाबू जी थोड़ी सी चिंता बताते हुए कहते हैं कि मुझे नहीं समझ आती कि जो काव्या है वो अपनी बेटी से बात क्यों नहीं करती क्योंकि देखो अब वनराज यहां से जा चुका है अब काव्य के ऊपर ही सभी जिम्मेवारी है तो जो माही है उसको अपनी मां की जरूरत तो है बेटा लेकिन कोई उससे बात करे तो ना लेकिन जो काव्या है उसको अपनी बेटी से कम से कम दिन में सुबह शाम एक दो बार बात तो करनी चाहिए जिससे उसे लगे कि उसकी मां को उसकी बहुत ज्यादा फिक्र तो है मुझे ये नहीं समझ आती वो बात क्यों नहीं करती।