Do dooni pyaar written Update 3rd November

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Do dooni pyaar written Update 3rd November में हम देखते हैं कि सब लोगों ने मिलकर भगवान की पूजा कर ली है और उसके बाद जब अनुपमा कहती है कि गणपति जी अपने मां-बाप के पास चले गए तो जो माही है वह रोना स्टार्ट कर देती है और वह कहती है कि बड़ी मम्मी आप मुझे बताओ भगवान जी तो अपने मां-बाप के पास चले गए लेकिन अब मैं क्या करूं मुझे तो मेरे मां-बाप का पता भी नहीं कि वह कहां है और जो तशु भाई है वह मुझे कहता है कि मैं उस परे बोझ हूं और वह मुझे किसी गंदा बाबा के पास छोड़ आएंगे या फिर मैं अपने साथ नहीं रखेंगे।

तो अनुपमा कहती है कि अरे बेटा ऐसे कौन कहता है और अनुपमा उसको गले लगाती है और कहती कि बेटा ऐसा कुछ नहीं कोई तुम्हें कहीं नहीं छोड़ने वाला तुम ऐसा मत सोचो तो तभी तशु भा के लगाता हुए सामने आता है जो केंजल है वह भी माही से कहती है कि बेटा ऐसा कुछ भी नहीं वोह तो उसने गुस्से में तुमसे कहा था और जब तक मैं तुम्हारे साथ हूं तुम्हें कोई घर से नहीं निकालेगा लेकिन तभी तशु आता है और हसता हुआ कहता है कि अरे अरे अरेरे माही बेटा तुम्हें कोई बाबा नहीं लेकर जाएगा बल्कि मैं तुम्हें खुद अनाथ आश्रम में छोड़ के आऊंगा।

जो अनुपमा है वो गुस्सा करते हुए तशु को कहती है कि तुम कित इतने बेवकूफ और गधे इंसान हो एक बच्ची के सामने ऐसी बातें करते हो तो वह कहता है कि मैं आपसे सभी रिश्ते नाते तोड़ चुका हूं अनुपमा जी तो आप मुझे डांटने का अधिकार नहीं रखते और रही बात इसकी यह मेरी कुछ नहीं लगती यह मेरी एक सौतेली मां की बच्ची है और इसके रखने की इसके संभाल की मेरी कोई जिम्मेवारी नहीं बाबू जी भी कहते हैं कि बेटा तुम पागल हो यह तेरी बहन है और तुम कैसी बातें कर रहे हो तो वो कहता है कि मैं किसी की कुछ नहीं सुनने वाला और यह मेरी कुछ भी नहीं लगती।

जिसको हां इसकी मां को इसकी पड़ी है तो वो ले जाए लेकिन मैं इसको नहीं रखने वाला तो जो अनुपमा है वो माही से कहती है कि देखो बेटा रो मत आज से तुम मेरे पास रहोगी मेरी छोटी बेटी की जैसे और मैं तुम्हारी देखभाल करूंगी तो जैसे ही अनुपमा माही से यह कहती है तो जो तशु है वो बहुत ऊंची ऊंची हंसना स्टार्ट कर देता है और फिर वो कहता है कि घर पे नहीं है दाने और और अम्मा चली भुनाने तुम्हारे खुद के खाने के लाले पड़े हैं इनकम टैक्स वाले कभी बर आकर तुम लोगों के आश्रम को ताला लगा देंगे।

और तुम इस बच्ची की जिम्मेवारी लेने के लिए कह रही हो वो भी वो बच्ची जो तुम्हारी सौतन की बेटी है तो आप तो बहुत महान हो और वो बहुत जोर-जोर से तालियां बजाना स्टार्ट करता है और कहता है कि ठीक है ठीक है आप महान हो और आप ऐसा कर सकती हो लेकिन याद रखना अब मैं इसे वापस नहीं लेकर जाऊंगा कहीं दो दिन बाद आप कहो के ले जाओ अब आज से इसके खाने का पीने का रहने का स्कूल का यूनिफॉर्म का हर छोटी से छोटी चीज का खर्चा तुम करोगी समझे और वो बहुत जोर-जोर से हंसता है।

तभी अनुपमा कहती है ठीक है यह मेरी बेटी के जैसी है फिर तभी जो वहां पर डिंपी खड़ी खड़ी कहती है कि मम्मी आपने बिना आश्रम के लोगों से पूछे यह फैसला कैसे ले लिया और हो सकता है उनको कोई आपसे ऑब्जेक्शन हो तो अनुपमा सभी आश्रम के लोगों की तरफ देखती है तो अनुज वहां से कहता है कि हम अनुपमा के हर फैसले में उसके साथ हैं तभी वहां पर इंदिरा जी और बाला का का सागर यह सब लोग कहते हैं कि हम अनरी के फैसले के साथ हैं जब हमारे सर पर कोई छत नहीं थी हम दरबदर भटक रहे थे तो इस आश्रम ने हमें सहारा दिया।

तो आज जब इस बच्ची के ऊपर जो बीत रही है वह हम सब पर बीत चुकी है तो हम इसका साथ क्यों नहीं देंगे हम देंगे हम मिल कर इसको पालेंग पसंग सब ख्याल रखेंगे तो तभी अनुपमा कहती है कि आप सबका बहुत-बहुत शुक्रिया और माही से कहती है कि बेटा आज से कभी भी तुम ऐसा मत सोचना कि तुम अकेली हो तुम मेरे साथ रहोगी और आद्या तुम्हारी बहन तुम इसके साथ रहना तो माही कहती है कि मैं बहुत खुश हूं और आद्या से कहती है कि बहन मैं आज से तुम्हारे साथ रहूंगी और तभी जो शाह फैमिली के सभी छोटे बच्चे हैं।

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