Do dooni pyaar written Update 18th November
Do dooni pyaar written Update 18th November
Do dooni pyaar written Update 18th November में मीनू कहती हैं कि अब मैं क्या किसी को मुंह दिखाऊंगी मुझे तो बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि मीनू ऐसा करेगी तभी टीटू बा को कहता है कि देखो हो सकता है कि यह जो भी दिख रहा है वो पूरा सच ना हो हमें पूरी सच्चाई पता नहीं है पहले मीनू को आने दो मीनू ही बता पाएगी कि क्या हुआ है और फिर हम देखते हैं कि एकदम से वहां पर मीनू आ जाती है और मीनू को आते ही वनराज उसे कहता है कि बस वहीं रुक जाओ।
फिर वनराज उसे बोलना स्टार्ट करता है कि फिर वनराज उसे कहता है कि वहीं रुक जाओ उसके के पास जाकर वो कहता है जैसे पाकी और तशु को अजदी रास नहीं आई थी ना मैंने जैसे मैंने उन दोनों को छूट दी थी मैंने वैसे ही तुम्हें पढ़ाया लिखाया और खुली आजादी दी लेकिन यह आजादी तुम्हें अच्छी नहीं लगी ना और तुमने उसका गलत फायदा उठाया मैंने तुम्हें बार-बार कहा था कि उस सागर से दूर रहो उसके पास नहीं जाना लेकिन तुम तुम तो बिल्कुल ढीठ हो जो मैं कहूंगा हमेशा उसके उल्टा ही करोगी।
मेरी दी गई आजादी का तुमने गलत फायदा उठाया आज के बाद तुम अकेली बाहर नहीं जाओगी और कॉलेज जाओगी तो उस सागर के साथ कभी भी मिलोगे नहीं और रे साथ कोई ना कोई जरूर जाएगा और यह सब कहते ही मीनू ने कहती कि बस मामा बस मुझे पता था कि आप सागर को पसंद नहीं करते लेकिन लेकिन जब से मैं सागर के साथ रही हूं तब से मुझे पता चला कि वह कितना अच्छा है मां मामी ने अनुपमा ने मुझे बताया था कि वो एक अच्छा लड़का है और अब तो उसके साथ रहने के बाद मुझे उससे प्यार हो गया है इतना बोलते ही वो उस परे हाथ उठाने वाला होता है कि बात चिल्ला के कहते हैं कि वनराज वनराज और वनराज एकदम से अपने सपने से बाहर आता है।
क्योंकि ये उसकी इमेजिन वो यह सब इमेजिन ही कर रहा था और एकदम से वो सनसना कर देखता है कि क्या कह रही हो बा फिर वो बाकी आवाज सुनते ही पूरा गुस्से से वनराज घर के बाहर जाने लगता है पीछे से तशु भी उसका पीछा करता है और कहता है कि पापा मुझे तो बताइए आप क्या करने वाले हैं लेकिन वनराज किसी से कोई बात नहीं करता और बहुत गुस्से से बाहर जा रहा है फिर अगले सीन में हम देखते हैं कि अनुपमा और मीनू एक साथ बैठे हैं और मीनू काफी सहमी है और रो रही है और अनुपमा कहती है कि क्या हुआ बेटा डर लग रहा है।
तो मीनू कहती है कि हां और मीनू ने कहती है कि देखो वैसे तो मैं साइकोलॉजी की डॉक्टर नहीं हूं और मुझे ऐसा नहीं होना चाहिए और मैं खुद ही अपने मन को नहीं समझा पा रही और मन के आगे झुक गई हूं और मुझे बहुत डर लग रहा है तो अनुपमा उसे समझाती है कि जब तुमने कुछ किया ही नहीं है तो डर किस बात का कभी-कभी मन ऐसा करता है और हमें उसके आगे झुकना नहीं चाहिए और तुम मेरी बहादुर बेटी हो ना तो तुम्हें इसके आगे डरना नहीं इससे लड़ना है और फिर अगला सीन कट होकर जाता है सागर और बाला पे सागर को काफी चोट लगी है और बाला उसपे मरम भट्टी कर रहा है फिर बाला कहता है कि हां मैं समझता हूं कि जब कोई रास्ता नहीं बचा होगा ना तो तुम तभी हाथ उठाया होगा।
तो सागर कहता है कि हां व अगर वह मीनू के साथ ऐसे बदतमीजी नहीं करते तो मैं ऐसा कदम कभी नहीं उठाता लेकिन वह मीनू के साथ बहुत ज्यादा बदतमीजी कर रहे थे और इसीलिए मुझे उन परे हाथ उठाना पड़ा और अगर वह तीन की जगह 30 भी होते तो मैं ऐसे ही रिएक्ट करता तो बाला कहता है कि हां हीरो बनना तो जरूरी था क्योंकि कभी-कभी सिचुएशन ही ऐसी हो जाती है कि वहां पर हमें हाथ उठाना पड़ता है तो सागर कहता है ऐसी बात नहीं है हीरो वीरो नहीं लेकिन यह बात एक लड़की की रक्षा की थी।
और लड़की और अगर मीनू को कुछ हो जाता तो तो बाला कहता कि हां बात तो तुम सही कह रहे हो लेकिन तुमने एक अच्छा काम जरूर किया कि पुलिस रिपोर्ट कर दी फिर सागर कहता है कि मुझे एक बात का बहुत ज्यादा डर लग रहा है कि जो वनराज है वो इस बात पर कैसे रिएक्ट करेगा बालाक कहता है कि हां यह बात तो है वो आदमी बड़ा टेढ़ा है अब पता नहीं वह क्या करेगा फिर जो मीनू है फिर अनुपमा मीनू से कहती है कि देखो बेटा जो कुछ भी हुआ उसमें तुम्हारा तो कुछ हाथ नहीं था तो तुम अपने मामा को सब कुछ साफ-साफ बता दे।