Anupama written Update 30 October

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कहानी अब तक

आज हम देखेंगे कि बा और बाकी सभी घरवाले होते है जो पूजा के लिए थाल सजाते है और तभी तोशू अपना बजा लेकर नीचे आने लगता है बहुत तेज आवाज में बजाकर और नीचे आकर बैठ जाता है नाश्ता करना शुरू कर देता है।और अपने गाने की आवाज को बहुत तेज कर देता है तभी बा भी अपना भक्ति गीत बजाने लगती है और और तोशू फिर आवाज अपने गाने की कर देता है।

फिर बा भी अपने भजन गीत की आवाज तेज कर देती है और फिर तोशू वहां से उठकर चला जाता है। फिर बा कहती है की तू वनराज का बेटा है तो मैं भी तेरे बाप को मां हूं।जितना तू करेगा वो मैं भी कर सकती हूं। फिर डिंपी कहीं किसी बिल्डर से मिलने जा रही होती है तभी टीटू आ जाता है।और बोलता है डिंपी तुम कहां जा रही हो तभी डिंपी कहती है मैं बिल्डर से मिलने जा रही हूं क्योंकि मुझे तोशू भाई पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं है।

तभी टीटू कहता है ये क्या कह रही हो तुम डिंपी तुम भी तोशू और पाखी की तरह लालची हो जा रही हो तो डिंपी कहती है कि मैं लालची नहीं हूं। ये सब मैं अपने बेटे के लिए कर रही हूं क्योंकि मुझे तोशू भाई पर रत्ती भर भी भरोसा नहीं है।क्या पता कि वो क्या घपला कर रहे हो और मुझे मेरा हक चाहिए।

डिंपी ने की अध्या से बात

तो टीटू कहता है डिंपी तुम इतनी लालची कैसे हो सकती हो ।तभी डिंपी कहती है कि अपना हक लेना लालच नहीं होता है।मैं अपने बेटे का हक किसी को नही मरने दूंगी। मैं अपना हक लेकर रहूंगी उसके लिए मुझे कुछ भी करना पड़े करूंगी। और मैं बिल्डर से भी मिलने जाऊंगी। क्या पता तोशू भाई बिल्डर के साथ मिलकर क्या कर रहे हो। इसलिए मुझे बिल्डर से मिलना बहुत जरूरी है।

तो टीटू कहता है की हमारा मुंबई में भी घर है तुम क्यों परेशान हो रही हो डिंपी। डिंपी कहती है मुझे वहां नहीं रहें है मुझे यहीं रहना है और मैं अपना हक लेकर रहूंगी। उसके लिय मुझे जो भी करना होगा मैं वो करूंगी। तभी तोशू डिंपी की बातें सुन लेता है और बोलता है कि अच्छा भरोसा तुम्हें मुझपर नहीं है और मिलने तुम बिल्डर से जा रही हो वो भी बिना किसी को बताए और बोल मुझे रही हो।

डिंपी को मिली धमकी

अगर तुमने ऐसा कुछ भी किया ना डिंपी तो मैं भी इस तरह करूंगा की तुमको एक फूटी कौड़ी भी न मिले। और अब ऐसा कुछ बोला तो सच में तुमको कुछ नही मिलेगा और तुम करना फिर जो तुम्हें करना हो।तभी इतना बोलकर तोशू कहता है अब बिना मुझे पूछे कुछ करने की सोचना भी मत वर्ना कुछ नहीं मिलेगा तुमको फिर कर लेना जो तुमको करना हो।इतना बोलकर तोशू कहीं चला जाता है।

डिंपी बैठ जाती है और बोलती है मुझे कैसे खुले आम धमकी देकर गए है तोशू भाई और फिर कुछ समय बाद उधर अनुपमा के घर में दिखाते है कि अनुपमा पूजा तुलसी की कर रही होती है।और तभी अनुज आता है वो भी साथ में पूजा करता है और अध्या भी आती हैं वो भी पूजा करती है।और फिर अनुपमा अध्या से बोलती है की चलो अध्या डोगी को खाना खिलाओ तो अध्या डरती है बोलती है मुझे ऐसे दर लगता है।और फिर अनुपमा समझती है कि डरो नहीं बेटा वो कुछ नहीं करेगा तुम इसको खाना खिलाओ तभी अध्या उसको खाना खिलाती है।

अनुपमा गाय को चारा देती है।

और फिर उसको खिलाने के बाद अनुपमा कहती है की अध्या गाय माता भी बोल रही है की उनको भी खाना चाहिए तभी अध्या गाय को भी चारा खिलाती है। और उसके बाद चिड़ियां के लिए पक्षियों के लिए भी खाना और पानी अध्या रखती है और फिर सभी घर में पूजा करने के लिए के लिए बैठ जाते हैं। और फिर कुछ समय बाद आरती करने के लिए अनुपमा अध्या से बोलती है।

अध्या कहती है की मैने बहुत समय से नहीं किया है तो मुझे याद नहीं ठीक से कुछ गलत हो गया तो भगवान जी मुझसे नाराज़ हो जायेंगे।तो अनुपम कहती है सच्चे मन से किया जाय तो भगवान जी नाराज नहीं होते पूजा करने वाले की श्रद्धा देखते हैं।और तुम पूजा करो भगवान जी नाराज नहीं होंगे।तभी सब मिलकर पूजा करते है उसके कुछ समय बाद फिर अध्या कहती है की गणपति जी को घर लाया जाए।

अनुज गणपति जी की मूर्ति बनाता है।

तो बाबा जी कहते है की ऐसे तो अनुज ही गणपति जी की मूर्ति बनाता है तो अध्या कहती है की इस बार भी करते है।और फिर अनुज और अनुपमा मिलकर गणेश जी की मूर्ति बनाने के लिए समान एक जगह पर रखते है।और फिर मूर्ति बनाने ही जा रहे होते है तभी अध्या आती हैं और बोलती है मैं भी बनाऊं तो अनुपमा बोलती हैं की ठीक है बनाओ तभी अध्या कहती है की मूर्ति बनाने से पहले एक और काम करते है तभी चार्ट पेपर पर तीनों लोग हाथ की छाप देते है और फिर उसके बाद मिलकर मूर्ति बनाना स्टार्ट कर देते हैं।

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